शनिवार, 4 अप्रैल 2009

कविता कोश के पन्नों से


कहते हैं कि कविता को पढना और कविता को समझना दो अलग अलग बातें हैं ।

कविता को पढते तो हम सभी हैं लेकिन इस चिट्ठे में शास्त्री नित्य गोपाल जी कटारे हमें कविता को समझ कर उस का आनन्द लेना सिखायेंगे । हर सप्ताह सोमवार की सुबह कटारे जी ’कविता कोश’ ( www.kavitakosh.org ) के पन्नो से एक कालजयी रचना को चुन कर उसे अपनी टिप्पणी के साथ प्रस्तुत करेंगे । टिप्पणी में कुछ कविता के बारे में होगा , कुछ कवि के बारे में । कभी कविता की विधा के बारे में तो कभी कविता से जुड़ा रोचक संस्मरण ।

शुरुआत हम सिर्फ़ कटारे जी से कर रहे हैं लेकिन भविष्य में काव्य के और मर्मज्ञ भी इस से जुड़ेंगे और हमें उन्हें पढने का अवसर मिलेगा ।

तो चलिये देर किस बात की है , बुकमार्क कीजिये इस चिट्ठे को और इंतज़ार कीजिये सोमवार की सुबह का .....


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत मुश्किल से कटेंगी यह इन्तजार की घड़ियाँ. :)

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  2. नया प्रयास - अच्छा प्रयास !!
    साधुवाद साधुवाद :)
    - लावण्या

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  3. बहुत अच्छा विचार है। अब समय आ गया है कि वेब पर प्रकाशित कविताओं की समीक्षा भी होनी चाहिए। अनूप जी आपने सही समय पर सही परियोजना का शुभारम्भ कर दिया है।
    -डा० व्योम

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  4. कविता कोष के पन्नो से ,कविताओं और उनकी समीक्षा का सिलसिला समुचित मापदंडो के अनुरूप चलता रहे
    यही कामना है।नए लेखको की रचनाएँ भी शामिल करने पर विचार हो यही सुझाव है।
    शुभमंगलकामनाएँ ।

    कमलेश कुमार दीवान(अध्यापक एवं लेखक)
    होशंगाबाद म.प्र.

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